नल दमयंती की प्रेम कथा Nala Damyanti Ki Prem Kathaनल दमयंती की प्रेम कथा Nala Damyanti Ki Prem Katha
नल दमयंती की प्रेम कथा Nala Damyanti Ki Prem Katha

नल दमयंती की प्रेम कथा Nala Damyanti Ki Prem Katha

जब युधिष्ठिर कौरवों के साथ जुए में अपना सब कुछ हारकर अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ वनवास का समय काट रहे थे, तब एक दिन ऋषि बृहदश्व वहाँ पधारे। युधिष्ठिर ने ऋषि का यथोचित सत्कार करने के बाद उनसे कहा,"महाराज! मुझसे ज्यादा अभागा कौन होगा इस संसार में जिसने अपना सब कुछ जुए में गवाँ दिया और अब यहाँ अपने परिवार के साथ वन में भटक रहा है।" इस पर महर्षि बृहदश्व ने कहा,"धर्मराज! ऐसा नहीं है। मैं आपको राजा नल 
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