बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं । बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है ।
लेकिन बड़े होते ही हमारे अंदर का बच्चा कहा गायब हो जाता हैं?
वह मासूमियत, नादानियां, यह सारी चीज़े एक दौर की तरह बचपन के साथ ही चली जाती है। अगर अब भी अपने अंदर के बच्चे को जीवित करना चाहते हो, तो ध्यान एकाग्र करके कोशिश की जा सकती है।
आज की कहानी इसी बचपने के नाम।