ख़्वाबों को ख़्वाहिश बनने में देर नहीं लगती, पर उन ख़्वाहिशों को पूरा करने में बहुत कुछ छूटता चला जाता है।
सपने देखना आसान है, उन्हें पूरा करना मुश्किल। और इस सपनों के संसार तक पहुँचने के रास्ते में अक्सर सवाल आता है, क्या आगे कर पाएँगे? बाक़ी सब इतने आगे हैं हम क्यों नहीं कर पा रहे? जब ऐसा लगे कि कोई तो समझे, तब एक कोशिश करना, किसी और की बजाय ख़ुद से थोड़ी बात करना। समझदारों कि इस दुनिया में तुम भले ही नासमझ हो, पर अपने अंदर की दुनिया में तुम सबसे श्रेष्ठ हो।
इस एपिसोड के माध्यम से आयुषी, रिया और अलीशा ने ख़ुद को समय देने की अहमियत के बारे में बताने की कोशिश की है।