श्रेयास तलपड़े एक ऐसे एक्टर हैं जो कम फिल्में करते हैं मगर चुनी हुई और सार्थक। कौन प्रवीण तांबे के बाद उनसे उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। इस हफ्ते चुप चाप उनकी एक फिल्म आई है कर्तम भर्तम यानी जो करेगा वो भरेगा। जीवन में निराश और हताश लोग अक्सर हस्तरेखाओं में न्यूमरोलॉजी में नाड़ी विशेषज्ञों के चक्कर में पड़ जाते हैं। यही इस फिल्म का मूल विषय है, जो कि काफी नया और ताजा है। पर अच्छी कहानी के बावजूद, काल और लक जैसी थ्रिलिंग फिल्म बनाने वाले सोहम शाह यहां पूरी तरह चूक से गए हैं। राइटिंग के स्तर पर भी फिल्म पूरी तरह बिखरी हुई है।
फिल्म में श्रेयस का एक पास्ट है, मगर उसके पिता के घोटालों पर कोई बात नहीं होती। इंटरवल तक फिल्म धीमी गति से चलती है और इंटरवल तक अपने सारे पत्ते खोल देती है। पोस्ट इंटरवल जो बदला दिखाया जाता है, पूरी तरह से कल्पना विहीन है। श्रेयास निराश नहीं करते, और विजय राज़ इंटरवल तक तो काफी सही लगते हैं लेकिन पोस्ट इंटरवल जो उनका पार्ट है उसके लिए मिस्कास्ट लगते हैं, यही बात मधु और गौरव डागर के लिए भी कही जा सकती है जिन्हें स्क्रिप्ट से भरपूर सहयोग नहीं मिला।
टाइटल सॉन्ग अलग अलग जगहों पर आता है मगर कोई इंपैक्ट नहीं क्रिएट करता । पार्श्व संगीत भी कमज़ोर है। इस विषय पर और इस कहानी पर सोहम शाह जैसा काबिल निर्देशक निश्चित ही बढ़िया फिल्म बना सकता था। बहरहाल इसे एक ऑपरच्युनिटी लॉस्ट ही कहूंगा मैं।
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