कुछ अभिनेता अपने किरदारों को इस कदर जीवंत कर देते हैं कि वो काल्पनिक होकर भी वास्तविक से लगने लगते हैं और दर्शकों के जेहन में उनकी अमिट छाप रह जाती है, राजेश खन्ना का आनंद, देव साहब का राजू गाइड, अमिताभ का विजय, अमजद का गब्बर, अमरीश का मोगाम्बो या फिर हाल के दिनों में यश का रॉकी, या फिर प्रभास का महेंद्र, इसी कड़ी में जुड़ गया है फहाद का रंगा भी, एक अनोखा किरदार जो उन्होंने निभाया है आवेशम में।
फिल्म में करीब 20-25 मिनट बाद इस किरदार की आमद होती है जिसके बाद फहाद से आपकी नजरें हटती नहीं है। जिन दृश्यों में वो नहीं दिखते वहां भी उसका एहसास बना रहता है। ये किरदार इरिटेट भी करता है, डराता भी है और खूब जम के हंसता भी है। कुछ सीन्स हाइलाइट हैं मसलन एक टॉवल डांस है फहाद का, एक एक्शन सीक्वेंस है कॉलेज कंपाउंड का जहां होली का थीम इस्तेमाल हुआ है, फिर एक अंडर कंस्ट्रक्टेड इमारत में एक्शन का जिसे मैंने कम से कम तीन बार रिवाइंड करके देखा, और फिर क्लाइमैक्स की फाइट तो है ही।
फहाद के साथियों का भी मेंशन जरूरी है, अंबन बहुत ही क्यूट और charming है, तो एक बूढ़ा साधू धमाका है, दो कुंग फू फाइटर्स भी है। इनके अलावा अपने प्यारे तीन कॉलेज के बच्चे, क्या कॉमिक टाइमिंग, कितना शानदार यंग टैलेंट प्रोड्यूस कर रहा है मलयालम सिनेमा। फिल्न का पार्श्व संगीत और गाने भी दमदार है। निर्देशक ने जिस ब्रिलियंस के साथ रंगा के किरदार को अवतरित करवाया है, तालियां बनती है। एक अब तक अनदेखे फहाद को डिस्कवर करने के लिए को देख सकते हैं आवेश्म ഇട മോനെ फिल्म प्राइम विडियो पर है।
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