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इकनॉमी का पटरी पर आना कितना मुश्किल, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

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नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस यानी एनएसओ (NSO) की तरफ से 31 अगस्त को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2020-21 के फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में -23.9 जीडीपी का माइनस में ग्रोथ रेट साफ बता रहा है कि कोरोना वायरस संकट ने भारत की इकनॉमी पर ऐसा वार किया है, जिसे लेकर ज़्यादातर इकनॉमिस्ट कह रहे हैं कि इससे उबरने में जो 'रोड टू रिकवरी' लेने की ज़रूरत है, वो काफी लम्बा दिख रहा है.

जीडीपी मापने के अब तक के 40 साल के इतिहास में ये पहली बार है जब जीडीपी का आंकड़ा नेगेटिव में आया है. वहीं जनवरी मार्च तिमाही मतलब इससे पहले वाली तिमाही में ये आंकड़ा 3.1% था. तो इस तरह से देखें तो जीडीपी में 27% की गिरावट आई है. पिछले फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में ये आंकड़ा 5.2% था.

लेकिन क्या कोरोना की वजह से ये आर्थिक संकट का साल बना है? या इस सब की वजह पहले ही से बीमार जीडीपी का खस्ता हाल है? इस पॉडकास्ट में सुनिए इंडिपेंडेंट जर्मलिस्ट और एनालिस्ट मयंक मिश्रा और क्विंट के एडिटोरियल डाइरेक्टर संजय पुगलिया से इन्ही मुद्दों के बारे में. 
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